The 5-Second Trick For अधिक सोचने से आप हो सकती हैं बीमार



ज्यादा सोचने और अधिक चिंता करने से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके कारण चक्कर आना, सीने में जलन जैसी परेशानी होती है। इसके अलावा हाइपरटेंशन, हाइपरटेंशन जैसी क्रोनिक स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

एक गलत धारणा यह भी है कि डिप्रेशन या दिमागी तकलीफें सिर्फ उसे ही होती हैं, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ हो या जिसके पास दुखी होने की बड़ी वजहें हों.

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आर्थिक स्थिति: इस समय खर्च में वृद्धि, आर्थिक परेशानी ला सकती है। राहु का प्रभाव भौतिकवादी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को बढ़ा सकता है। भौतिकवादी आकांक्षाओं और आध्यात्मिक विकास के बीच संतुलन खोजना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बृहस्पति का प्रभाव आपको उच्च मूल्यों, नैतिकता और आध्यात्मिक कल्याण के महत्व की याद दिलाता है।

शिक्षा: इस समय के दौरान, आपको खुद पर ध्यान देने और अपनी शिक्षा में अपना नाम बनाने की तीव्र इच्छा महसूस हो सकती है। आप नेतृत्व के पदों को लेने, सार्वजनिक रूप से बोलने, या ऐसी गतिविधियों में भाग लेने में रुचि रख सकते हैं जो आपको अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने दें। यह अवधि आपको कड़ी मेहनत करने और अपनी पढ़ाई में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अधिक प्रेरणा और दृढ़ संकल्प दे सकती है।

एक बार जब गलतियों की पहचान कर लेती हैं, तो आगे बढ़ने की योजना बनाने के लिए भी check here तैयार हो जाएं। चित्र : एडोबी स्टॉक

यही वजह है कि डिप्रेशन में आप चाहकर भी खुश नहीं रह पाते.

लाइटरूम थेरेपी एंड काउंसलिंग की संस्थापक और मनोवैज्ञानिक गरिमा जुनेजा बताती हैं कि जब आप समय के साथ अधिक सोचते रहते हैं तो क्या होता है और इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है.

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बहुत ज्यादा सोचना आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है

ज्यादा सोचने से दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है, क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन दिमाग की कनेक्टिविटी में बदलाव का कारण बन सकता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थी बर्कले के मुताबिक, ज्यादा सोचना या दिमाग लगाना तनाव, चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बनता है, जिसका असर आपके पाचन तंत्र पर भी पड़ सकता है। इससे पेट में जलन, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, गैस्ट्रिक सीक्रेशन में परिवर्तन, आंतों का सही से काम न करना आदि समस्याएं होती हैं। विज्ञापन

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